कल काफी दिनों बाद दुःख हुआ ,आंसू निकले, जो ग़लत है
कल फिर मुझे इंसानो जैसा महसूस हुआ , जो ग़लत है
वाही अपने अस्तित्व की तलाश में दूसरों पर निर्भर रहना, जो ग़लत है
मोह, माया,राग,विराग,ईर्ष्या,क्रोध,कलेश में खुद को ही भूल जाना,जो ग़लत है
एक बार खुद से पूछ कर तो देखो की चाहते क्या हो ।
फिर पता चलेगा की आज तक जो भी किया वो गलत है।
कुछ पाने की इच्छा में अपना सब कुछ गवा देना, जो ग़लत है
एक बार अपना सब कुछ त्याग कर तो देखो।
पता चलेगा की आज तक जो भी पाया ,वो ग़लत है।
हम कर्म करने से पहले पाने की इच्छा रखते हैं
कुछ पाने के लिए सब कुछ करते हैं, जो ग़लत है
वाही अपने अस्तित्व की तलाश में दूसरों पर निर्भर रहना, जो ग़लत है
मोह, माया,राग,विराग,ईर्ष्या,क्रोध,कलेश में खुद को ही भूल जाना,जो ग़लत है
एक बार खुद से पूछ कर तो देखो की चाहते क्या हो ।
फिर पता चलेगा की आज तक जो भी किया वो गलत है।
कुछ पाने की इच्छा में अपना सब कुछ गवा देना, जो ग़लत है
एक बार अपना सब कुछ त्याग कर तो देखो।
पता चलेगा की आज तक जो भी पाया ,वो ग़लत है।
हम कर्म करने से पहले पाने की इच्छा रखते हैं
कुछ पाने के लिए सब कुछ करते हैं, जो ग़लत है
bahot sahi baat hain. achcha likha hain. :) sach likha hain.
ReplyDeleteThnx :)
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