किसी न किसी मोड़ पर ज़रूर मिलेंगे,
इसिलिये हर मोड़ को तुमारे रस्ते पर मोड़ दिया.
और कहीं तुम अपना रास्ता ही न बदल दो,
इसिलिये हमने रस्ते पर खड़ा रहना ही छोड़ दिया.
रोना हमे आता कहाँ था वो तो तुमने सिखाया है,
और हम तो प्यार का मतलब भी न जानते थे,
उसका मतलब भी तुमने सिखाया है,
और उस ऊपर वाले के हाथों में वो ताकत कहाँ,
जो तुमे बना सके.....शायद तुमने उस "खुदा" को बनाया है.
वो ऊपर बैठा सोचता होगा काश की में आज नीचे होता,
पर उसकी किस्मत में आपका प्यार कहाँ ,इसिलिये उसने "मुझे" बनाया है.
आज भी इंतज़ार है.....
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