आज मुझे अपने ही कहे हुए शब्द याद आ रहे हैं "कुछ चीज़े हमेशा अधूरी रह जाती है या फिर कुछ लोग उन्हें पूरा करने से डरते है" बड़े जोश से मैंने 3 महीने पहले ही विपश्यना Meditation का पंजीकरण करा लिया जो की 10 दिन की साधना थी Meditation के ज़रिये अपने शरीर को समझने की। सब दोस्तों को भी बताया आखिर, वो दिन भी आ गया जब मुझे वहां जाना था 4th Feb. 2015. वहां के सब नियम कानून पढ़े और बड़ी जोश में कहा की में तयार हूँ. और बाहरी दुनिया से पूरी तरह कट कर अंदर दाखिल हुआ. और उसी दिन रात 8 बजे अपनी साधना आरम्भ की.. जैसे जैसे दिन बीतते गए वहां का अकेलापन मुझे काटने लगा, फिर जाना की शायद सही जगह पर गलत इंसान आ गया, जैसे तैसे करके 3 दिन पूरे किये और वहां से एक हारे हुए सिपाही की तरह पीठ दिखा कर वापस आ गया. लोगों की नज़रों में मैं हार गया था पर मेरी सबसे बड़ी जीत ये रही की मैंने वो हार स्वीकार की और एक कदम और आगे बढ़ा।